दोआबा का अहिल्या आख्यान और साहित्य की कसौटी

Published: 9 May 2022| Version 1 | DOI: 10.17632/xmcz85jbbj.1
Contributor:
Pramod Ranjan

Description

यह पटना से प्रकाशित दोआबा के जनवरी-मार्च, 2022 अंक की समीक्षा है। दोआबा का यह अंक लगभग 600 पन्नों का है। इनमें से 533 पन्नों में नीलम नील की दो ‘कथा-डायरी’ प्रकाशित हैं, जिनके शीर्षक क्रमश: ‘आंगन में आग’ और ‘अहिल्या आख्यान’ हैं। शेष पृष्ठों पर उन्हीं पर केंद्रित संपादकीय, संस्मरण आदि हैं। साहित्य की पहचान यह नहीं है कि लेखक कितना संवेदनशील है, उसकी भाषा कितनी तरल है या वह अपने लेखन से पाठक को भावुक करने में कितना सफल है। बल्कि यह देखा जाना चाहिए कि उस साहित्य से पाठक किन मूल्यों के प्रति संवेदनशील और जागरूक हो रहा है। इस कसौटी पर नीलम नील की कथा-डायरी खरी नहीं उतरती।

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Assam University

Categories

Literature, Hindi Language, Book Review

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